लखनऊ: लखनऊ में स्थित कालीदास मार्ग पर कई बंगले हैं, जिनमें योगी सरकार के मंत्रीगण और 5 कालीदास मार्ग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहते हैं। लेकिन, सीएम के बगल वाले बंगला नंबर 6 को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं की जाती रही हैं। यहां तक इसे भूतहा बंगला भी कहा जाता था। इसमें रहने से मंत्रियों को डर लगता था। एक समय ऐसा था कि यहां कोई रहना नहीं चाहता था लेकिन कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने न सिर्फ पांच साल का कार्यकाल बिताया, बल्कि एक बार फिर चुनाव जीतकर विधायक बने और दोबारा कैबिनेट मंत्री बनकर पूर्व में की जाने वाली चर्चाओं पर विराम लगा दिया। हालांकि, वर्तमान समय में बंगला नंबर 6 के मिथक की चर्चा फिर शुरू हो गई है। क्योंकि प्रयागराज से नंद गोपाल नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता को मेयर प्रत्याशी नहीं बनाया गया। वहीं कैबिनेट मंत्री की कुर्सी पर भी संकट नजर आ रहे हैं।
नंदी ने अपनाया बागी रुख
नोएडा को लेकर किए जाने वाले मिथक को जिस तरह से सीएम योगी तोड़ दिखाया ठीक उसी तरह कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी दूसरी बार मंत्री बनकर बंगला नंबर 6 को लेकर की जाने वाली चर्चाओं पर विराम लगाया। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा कहा जाने लगा कि इस बंगले का काला साया नंदी पर भी मंडराने लगा है। पहले पत्नी अभिलाषा गुप्ता का टिकट कटा और उनकी तीखी बयानबाजी से मंत्री की कुर्सी भी डगमगाती नजर आ रही है। बीते दिनों उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक होने के बावजूद उनसे इस मामले को लेकर कुछ नहीं पूछा गया यह बहुत ही गलत है। इसके साथ ही नंदी ने कहा कि पार्टी में मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है।
ये कहानियां बनी चर्चा का विषय
सीएम आवास के बगल में स्थित बंगला नंबर 6 के साथ पूर्व में कई कहानियां जुड़ी रही हैं। बसपा सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा इस बगले में रह चुके हैं। लेकिन न सिर्फ वो एनआरएचएम घोटाले में जेल गए। बल्कि अबतक उनकी करीब 100 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। यही नहीं वकार शाह बतौर मंत्री बंगले में आने के बाद गंभीर रूप से बीमार हो गए। इसके राजेंन्द्र चौधरी के इस बंगले में आने के बाद कद और पद दोनों घटा। जावेद आब्दी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष बने लेकिन जल्द ही उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया गया था। कई साल पहले यह बंगला पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव को आवंटित किया गया था। वह नोएडा में जमीन घोटाले में जेल गईं। पूर्व प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रदीप शुक्ला भी यहां रहे। उन्हें एनआरएचएम घोटाले में जेल जाना पड़ा। इस बंगले में आने के बाद ही अमर सिंह का मुलायम से झगड़ा हुआ था।
इसलिए बीजेपी ने नाराज हैं नंदी
बता दें कि अभिलाषा गुप्ता 2017 के नगर निकाय चुनाव में प्रयागराज से भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था। इसके बाद अपनी लोकप्रियता के चलते उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की। लेकिन इस बार के चुनाव में अभिलाषा का टिकट काट दिया गया। उनकी जगह पर उमेश चंद्र गणेश केसरवानी को प्रत्याशी बनाया गया है। जिससे योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी बेहद नाराज नजर आ रहे हैं। नंदी ने अपनी ही सरकार और पार्टी के खिलाफ बागी रूख अपना लिया। इसके पीछे बड़ी वजह सपा नेता रईस चंद्र शुक्ला की बीजेपी में एंट्री बताई जा रही है। गौरतलब है कि, 2022 के विधानसभा चुनाव में नंदी के खिलाफ दक्षिणी विधानसभा सीट से सपा ने रईस चंद्र शुक्ला को मैदान में उतारा था, लेकिन नंदी बड़े अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे थे।
नोएडा के मिथक को सीएम योगी ने तोड़ा
इसी तरह नोएडा को लेकर भी प्रदेश में एक मिथक दशकों से चलता आया है। कहा जाता था कि जो मुख्यमंत्री नोएडा का दौरा कर ले, वह अगली बार सत्ता में नहीं आता था। जो नोएडा आया, उसने सत्ता को गंवाया वाली बात लोगों के दिल-ओ-दिमाग में घर कर गई और मुख्यमंत्रियों ने नोएडा आना छोड़ दिया था। मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह तो अपने कार्यकाल में नोएडा आए ही नहीं। वहीं, 2012 में नए-नए मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव ने भी इस परंपरा को कायम रकते हुए नोएडा के दर्शन नहीं किए। 2013 के एशियाई विकास बैंक सम्मेलन में तत्कालीन सीएम ने शिरकत ही नहीं की थी जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीफ गेस्ट के तौर पर वहां पहुंचे थे।
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