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    मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व नवरात्र आज से शुरू हुआ है। देवी मंद‍िरों में सुबह से मां के दर्शनों के ल‍िए भक्‍तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी, आगरा, मथुरा सह‍ित प्रदेश के देवी मंद‍िरों में भक्‍त मां की एक झलक पाने के ल‍िए सुबह से कतार में खड़े हैं।


    नवरात्र पर आज से कलश स्थापना के साथ ही घरों और मंदिरों में पूजन का क्रम भी शुरू हो गया है। आज ही के दिन भारतीय नव वर्ष की शुरुआत भी हुई है। शहर के कई स्थानों पर दीपदान के साथ ही भारतीय नव वर्ष का स्वागत भी हुआ। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि चैत्र नवरात्र में ग्रीष्म ऋतु के आगमन की सूचना देता है। शक्ति की उपासना चैत्र मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र का 22 मार्च बुधवार से शुरू होगा। 29 को अष्टमी हवन और 30 मार्च को श्रीराम नवमी मनेगी।


    आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इस साल चैत्र नवरात्र पर माता का वाहन नाव होगी, जो इस बात का संकेत है इस साल खूब वर्षा होगी। सर्वार्थसिद्धि योग अमृतसिद्धि योग नवरात्र के महात्म्य में वृद्धि करेगा। इसी दिन नवसंवत्सर विक्रम संवत 2080 पिंगल नामक संवत शुरू होगा। इसके राजा बुध व मंत्री शुक्र होंगे। इस बार पूरे नौ दिनों की नवरात्र होगी।


    नवरात्र में विशेष योग वाहन, मकान, भूमि, भवन, वस्त्र व आभूषण आदि की खरीदारी अत्यंत शुभ और फलदायक रहेगी।


    कलश स्थापना के मुहूर्त

    आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि चैत्र की प्रतिपदा तिथि मंगलवार की रात 10:52 लग गई। बुधवार को राज 8:20 बजे तक मान रहेगा। ऐसे में कलश स्थापना के कई मुहूर्त हैं। श्रद्धालु सुविधा व लग्न के अनुरूप कलश स्थापित कर सकते हैं। मीन लग्न में सुबह 6:13 बजे सुबह 7:19 बजे तक, मिथुन लग्न में सुबह 10:53 बजे से सुबह 11:49 बजे तक,लाभ की चौघड़िया सुबह 6:10 बजे से सुबह 7:41 बजे तक, अमृत की चौघड़िया सुबह 7:41 बजे से 9:12 बजे तक करना श्रेयस्कर होगा।


    पहले दिन अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन शुक्ल योग और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। घटस्थापना के लिए साधक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए और कलश की स्थापना ईशान कोण में ही करनी चाहिए।






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