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    अम्बेडकरनगर: उत्तर प्रदेश के जनपद अंबेडकर नगर में स्थित विश्व प्रसिद्ध किछौछा दरगाह जो अपने रूहानी इलाज के लिए प्रसिद्ध है। यह दरगाह करीब 900 वर्ष पुरानी बताई जाती है इस दरगाह का आर्किटेक्ट मजार के चारों ओर से मिट्टी खोदकर करीब 25 फीट तक डंप कर मजार का निर्माण हुआ है। 900 वर्ष पुराने निर्माण के सामने छोटी सी जगह पर सहन बनाया गया है। जहां पर देश दुनिया से आए लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए इकट्ठा होते हैं। ऐसे में वहां के लोगों को डर सता रहा है।


    हाथरस में हुआ था बड़ा हादसा 

    गौरतलब है कि हाथरस में बाबा भोले बाबा उर्फ सूरजपाल, सरकार हरि के सत्संग में लाखों की भीड़ के बीच भगदड़ मच गई थी जिसमें 116 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी चारों ओर मातम ही मातम था वही उत्तर प्रदेश की सरकार सीएम योगी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बड़ा एक्शन लिया था लेकिन फिर भी संसद का सत्र शुरू होते ही बीजेपी सरकार पर विपक्षी पार्टी हमलावर हो गई थी। कहीं अम्बेडकर नगर के प्रशासनिक अधिकारी व स्थानीय कमेटी अपनी आधी अधूरी तैयारी की वजह से लाखों श्रद्धालुओं को मौत के मुंह में ना झोक दें।


    राजस्व विभाग को लगाया जा रहा चूना 

    बता दें कि किछौछा दरगाह में राजस्व विभाग को जमकर चपत लगाया जाता है प्रसिद्ध दरगाह के किनारे लगी दुकान मे खुले तारों का सहारा लेकर बिजली का जमकर प्रयोग दुकानदारों द्वारा किया जाता है। वहीं खंम्बो पर खुले तारों का जंजाल ऐसा मिलेगा मानव प्रतीत हो रहा है। बिजली यही से उत्पन्न हो रही है। खुले तारों का जंजाल किसी न किसी श्रद्धालु की जान ले सकती है।


    अव्यस्थाओं का है अंबार

    यहां की स्थानीय व प्रमुख कमेटी न तो दुकानदारों को नोटिस देती है ना बिजली विभाग में शिकायत करती हैं।यहां के इंतजाम इतने बेहतर होते हैं। कि मानव पाँच सितारा होटल की सुविधा मिल रही हो श्रद्धालुओं का खुले में शौच करना, गंदा पानी पीना, उठने बैठने सोने का ठिकाना नहीं, जेब पर हाथ ना रखो तो जेब गायब, धक्का मुक्की खाना, अवैध वसूली, इस दरगाह के सुविधाओं में उपलब्ध है।


    हर साल होता है आयोजन

    3 अगस्त को विश्व प्रसिद्ध किछौछा दरगाह में सालाना उर्स का आयोजन होता है और आज के दिन लाखों की संख्या में सहन पर श्रद्धालु मौजूद होंगे कहीं यह लाखों की भीड़ कम जगह में भगदड़ का रूप ना ले ले वही आपको बता दें आज मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है। तेज बारिश के साथ कहीं-कहीं पर भूस्खलन भी हो सकता है वायनाड में भूस्खलन की वजह से स्तीथी है। बिल्कुल भयावा है कहीं मानसूनी मौसम में 900 वर्ष पुरानी डंप की हुई मिट्टी भूस्खलन का रूप ना ले।


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