img

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने SGPGI की एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट करके उनसे 2 करोड़ रूपये से ज्यादा की ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। शुक्रवार को एसटीएफ ने इस मामले से जुड़े 6 आरोपियों को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। इसमें फैज, फैजी बेग, मोहम्मद ओसामा और मनीष कुमार लखनऊ के निवासी हैं। वहीं आयुष यादव मिर्जापुर और दीपक शर्मा संतकबीर नगर का निवासी है।


    अंजान नंबर से किया था फोन 

    एसटीएफ के मुताबिक, SGPGI की एसोसिएट प्रोफेसर रुचिका टंडन के मोबाइल पर किसी अंजान नम्बर से कॉल आया। जिस पर उनके द्वारा फोन रिसीव करने पर जालसाजों ने खुदको को सी०बी०आई० मुम्बई का पुलिस अधिकारी बताया, वहीं कहा गया कि प्रोफेसर के खिलाफ मनी लाड्रिंग का केस हुआ है। जिसमें आपके खाते का इस्तेमाल किया गया है। इसी तरह बात करके उनको प्रभाव में लेते हुए बैंक व उनकी सारी डिटेल प्राप्त कर ली। 


    5 दिन तक किया था डिजिटल अरेस्ट 

    आरोपियों ने करीब 5 दिन तक उन्हें डीजिटल अरेस्ट करके रखा गया। इस बीच उनके खाते से लगभग 2 करोड़ से अधिक का पैसा अपने खाते में ट्रान्सफर कर लिया गया। जब इनको इस बात का एहसास हुआ कि मेरे साथ ठगी की घटना हो गयी है तब उन्होंने ने की दर्ज कराया था। पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि वे एक संगठित गिरोह के सदस्य हैं जो लोगों को फोन करके खुद को पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताकर उन्हें धोखा देते हैं। ये आरोपी लोगों को डराकर उनकी व्यक्तिगत जानकारी हासिल कर लेते हैं और उनके बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं। 


    ऐसे छिपा लेते थे धोखाधड़ी 

    इनका modus operandi यह है कि वे बायनेन्स ऐप के माध्यम से P2P (पियर-टू-पियर) ट्रेडिंग के जरिए USDT (Tether) की ट्रेडिंग करते हैं। वे USDT को ऑनलाइन खरीदते हैं और ऑनलाइन ही बेचते हैं। थर्ड पार्टी के माध्यम से बेचने पर उन्हें बेहतर मूल्य प्राप्त होता है, इसलिए वे अधिकतर थर्ड पार्टी का ही उपयोग करते हैं। आरोपियों ने बताया कि वे अक्सर फ्रॉड करके प्राप्त किए गए पैसे का इस्तेमाल करते हैं और अपने नाम पर बैंक खाते खुलवाने की बजाय अलग-अलग लोगों को प्रलोभन देकर उनके खातों का उपयोग करते हैं। इस तरह से वे अपनी धोखाधड़ी की गतिविधियों को छिपा लेते हैं। 



    खबरें और भी हैं...