लखनऊ: शेयर बाजार में ट्रेडिंग कराने के बहाने 70 करोड़ रूपए की ठगी करने वाले दो साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया है। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने गाजियाबाद के इन्दिरापुरम थाना क्षेत्र से विनोद कुमार धामा और रविन्दर उर्फ नवाब को पकड़ा है। इनके द्वारा शेयर ट्रेडिंग के नाम पर बड़े मुनाफे का लालच देकर भोलेभाले लोगों को निशाना बनाया जाता था फिर उन्हें अपने जाल में फंसाकर ठगी की जाती थी। आरोपी ये पूरा काम फर्म के जरिए करते थे वहीं ज्यादा पैसा खाते में हो जाने के बाद कम्पनी बन्द कर देते थे इसके बाद किसी दूसरे स्थान पर नये नाम से कम्पनी बना लेते थे।
इस नाम से भी ठगों ने खोली थी फर्म
एसटीएफ के मुताबिक, इनके द्वारा पूर्व में भी कल्प वृक्ष ट्रेडिंग मास्टर टैक्नोलोजी प्रा.लि के नाम से नोएडा के एच-87, सेक्टर-63 में तथा हाट सिक्योरिटी लि व आयुर्वेद इण्डिया लि के नाम से गाजियाबाद में भी ट्रेडिंग फर्म खोली गई थी, जिसमें करोड़ो का निवेश होने के बाद कम्पनी बन्द कर ये लोग छिप गए थे। इस गिरोह का सरगना विनोद कुमार धामा है विनोद ने शेयर ट्रेडिंग का काम करने वाली अमेरिकन कम्पनी एम-वे में कुछ दिनों तक काम किया और वहीं उसने ऑनलाइन शेयर बाजार का काम सीखा।
2022 में बनाई थी कंपनी
वहीं 2022 में विनोद कुमार धामा ने अपने साथियों के साथ मिलकर नोएडा में एच-87 सेक्टर-63 में ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए कल्प वृक्ष ट्रेडिंग मास्टर टैक्नोलोनी प्रा0लि0 और ट्रेडिंग मास्टर कम्पनी बनाकर रजिस्टर्ड करायी थी, जिसका मालिक विनोद धामा व प्रवीण धामा उर्फ सोनू तथा डायरेक्टर विनोद धामा व रोहित खान थे।
ऐसे देते थे प्रलोभन
इस कंपनी के अलावा विनोद कुमार धामा ने अपने साथियों के साथ मिलकर ट्रेडिंग के लिए एक ट्रेडिंग बोट मास्टर नितेश, नामक युवक से 5 लाख रूपये में ऑनलाइन खरीदी थी, जिसके जरिए ऑटोमैटिक ट्रेडिंग होती थी। जिसका इन लोगों द्वारा आम जनता में प्रचार-प्रसार करके लोगो को पैसे निवेश करने के लिए लालच दिया। जिसमें ज्यादा से ज्यादा पैसे निवेश करने व प्रतिमाह 10 से 15 प्रतिशत ब्याज देने का प्रलोभन दिया।
ID बनाकर देता था टारगेट
इस गिरोह के द्वारा ज्यादा लोगों को जोडने के लिए एक स्कीम निकाली गई जिसके तहत कुछ लीडर बनाये और उनकी आईडी बनाकर उन्हें टारगेट दिया। अधिक से अधिक धन निवेश करने पर ईनाम भी रखा गया। इस वजह से लीडरों द्वारा बड़ी संख्या में आम जनता के लोगों से कम्पनी में पैसे निवेश कराये गये। आरोपी 3 से 4 माह तक कुछ पैसा उनके अकाउण्ट में ट्रांसफर करते थे फिर शेष बचे रुपयों को अपने साथियों के अकाउंट में ट्रांसफर कर मोबाइल बंद कर लेते थे।