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    Uttar Pradesh News: लोकसभा 2024 चुनाव का बिगुल बज चुका है। निर्वाचन आयोग के द्वारा तारीखों का भी ऐलान किया जा चुका है। आज से ठीक एक महीने बाद पहले चरण का मतदान होगा। वहीं अंतिम चरण की वोटिंग 1 जून को होगी। इसके बाद 4 जून को नतीजे आएंगे। लेकिन एक सवाल सभी के जहन में तेजी से उठ रहा है और वो है परिवारवाद को बढ़ावा देना। वैसे तो सत्तारूण बीजेपी इसपर विपक्ष यानी समाजवादी पार्टी को घेरने का काम करती है लेकिन उनके गठबंधन के साथी भी इसपर बिलकुल मुफीद बैठते हैं क्योंकि यूपी में ही एनडीए का अपना दल (एस), निषाद पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन है जिसमें परिवारवाद की झलक देखी जा सकती है। 


    घोसी से अरविंद को घोसी से उतारा

    यूं तो भारतीय जनता पार्टी देश में परिवारवादी राजनीतिक पार्टियों पर खूब हमलावर रहती है। लेकिन इन सभी पार्टियों में परिवारवाद को बुरा नहीं माना जाता है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर को उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उन्हें मंत्री बने अभी 15 दिन भी नहीं बीते कि उनके बेटे अरविंद राजभर को घोसी संसदीय सीट से लोकसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। ओमप्रकाश राजभर अपनी पार्टी के अध्यक्ष भी हैं और उनके दोनों बेटे पार्टी के पदाधिकारी। राजभर पहली बार भाजपा गठबंधन से इसीलिए अलग हुए थे, क्योंकि तब भाजपा ने उनके बेटे को विधान परिषद का सदस्य नहीं बनाया था।2022 का चुनाव उन्होंने सपा के साथ मिलकर लड़ा। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि समाजवादी पार्टी उनके बेटों को कहीं न कहीं समायोजित जरूर कर देगी, लेकिन अखिलेश यादव ने ऐसा नहीं किया। निराश होकर उन्हें फिर भाजपा के साथ आना पड़ा, हालांकि इस बार वह भाजपा को अपनी शर्तें मनवाने में कामयाब रहे। 


    कांग्रेस को घेरने में गुरेज नहीं करती अनुप्रिया

    अब ऐसी एक दूसरी राजनीतिक पार्टी की के बारे में बताते हैं जोकि अपना दल सोने लाल की विचार धाराओं वाली पार्टी पार्टी के रूप में जानी जाती हैं इसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल केंद्र की सरकार में मंत्री हैं। हालांकि, अनुप्रिया भी कांग्रेस पार्टी को परिवारवाद के नाम पर घेरने का कोई अवसर नहीं छोड़ती है। उनके पति आशीष पटेल उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर काम कर रहे हैं। कुर्मी वोटों की राजनीति करने वाला अपना दल परिवारवाद की राजनीति के लिए जाना जाता है। अनुप्रिया पटेल मोदी की पहली सरकार में भी केंद्रीय मंत्री थी और उनके पति आशीष पटेल MLC बनकर योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर काम कर रहे। 


    निषाद पार्टी में भी दिख रहा परिवारवाद

    कहा जाता है कि अनुप्रिया पटेल अपने पिता सोनेलाल पटेल की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। सोनेलाल पटेल भी कुर्मी वोट बैंक की सियासत करते थे। हालांकि उन्हें वह मुकाम कभी नहीं मिला, जो उनकी बेटी ने हासिल किया है। अब बात करते हैं निषाद पार्टी की, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद परिवारवाद की राजनीति में दम-खम के साथ डटे हुए हैं। संजय निषाद विधान परिषद के सदस्य हैं और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी। यही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को बीजेपी ने अपने टिकट पर संत कबीर नगर सीट से लोकसभा पहुंचाया था। 


    यूपी में कद बढ़ाने के लिए संजय ने रख दी ये डिमांड

    संजय निषाद के दूसरे बेटे सरवन निषाद चौरी-चौरा विधानसभा सीट से विधायक हैं। उनकी पत्नी भी पार्टी में पदाधिकारी हैं। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में संजय निषाद चाहते हैं कि उनके बेटे प्रवीण निषाद को निषाद पार्टी से ही टिकट मिले। अब क्योंकि भाजपा नेतृत्व ओमप्रकाश राजभर के बेटे को उन्हीं की पार्टी के सिंबल पर टिकट दे चुकी है, इसलिए वह पूरा जोर लगाए हुए हैं कि उनके बेटे को भी निषाद पार्टी से ही टिकट मिले। ऐसा होने पर उनकी पार्टी का कद बढ़ेगा और वह अपनी पार्टी के लिए अधिक पद और सीटें मांगने में सक्षम हो पाएंगे। 


    NDA में फल- फूल रहीं क्षेत्रीय पार्टियां

    राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। क्योंकि में यूपी की सियासत में एनडीए गठबंधन में परिवारवादी क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों खूब फलफूल रही हैं। इसे भाजपा का दोहरा मानदंड ही कहा जा सकता है क्योंकि एक ओर बीजेपी परिवारवादी राजनीतिक दलों का विरोध करती है और दूसरी ओर ऐसी ही पार्टियों को बढ़ावा देना का काम कर रही है ये कहां तक उचित है। बात चाहे अपना दल सोने लाल की हो या निषाद पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की सभी में परिवार वाद की झलक है। सरकार बनाने में जोड़-तोड़ हो या फिर सरकार गिराने के लिए लेनदेन की बात। यहां तक कि भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों ने परिवारवाद की अपनी अपनी परिभाषा गढ़ ली है। भाजपा नेता कहते रहे हैं कि किसी नेता का बेटा राजनीति में आ सकता है, बशर्ते वह पीढ़ी दर पीढ़ी पार्टी का अध्यक्ष न बने।


    यूपी में अपना दल एस के 12 विधायक 

    1- कायमगंज- डॉक्टर सुरभि गंगवार, 2- घाटमपुर- सरोज कुरील, 3- मऊरानीपुर- रश्मि आर्या, 4- बिंदकी- जय कुमार सिंह जैकी, 5- बारा- वाचस्पत‍ि, 6- छानबे- राहुल कोल के निधन के बाद रिंकी कोल, 7 रोहनिया- डॉ. सुनील पटेल, 8- मड़ियाहूं- डॉ. आर के पटेल, 9- शोहतरगढ़- विनय वर्मा, 10- नानपारा- राम निवास वर्मा, 11- विश्वनाथगंज- जीत लाल, 12- मानिकपुर- अविनास चंद्र द्विवेदी 


    2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने 16 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे और वह कुल 11 सीट जीतने में कामयाब रही। जिसमें से निषाद पार्टी ने अपने सिंबल पर 6 और बीजेपी के सिंबल पर पांच सीटें जीतने में सफल रही। 


    ये 5 विधायक बीजेपी के सिंबल पर जीते चुनाव

    1- चौरीचौरा- ई. सरवन निषाद, 2- करछना -पीयूष रंजन निषाद, 3- बांसडीह- केतकी सिंह, 4- सुल्तानपुर -सदर राजबाबू उपाध्याय, 5- तमकुहीराज -डॉ असीम रॉय विधायक हैं।


    ये 6 विधायक निषाद पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीते

    1- ज्ञानपुर- विपुल दुबे, 2- मझवान – डॉ बिनोद बिंद, 3- मेहदावल -अनिल त्रिपाठी, 4- नौतनवां -ऋषि त्रिपाठी, 5- खड्डा -विवेक पांडे, 6- शाहगंज -रमेश सिंह


    सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 6 विधायक

    1- जहूराबाद से ओमप्रकाश राजभर, 2- जखनिया से बेदीराम, 3- बेल्थरारोड से हंसू राम, 4- मऊ सदर से अब्बास अंसारी, 5- जफराबाद से जगदीश नारायण, 6- महादेवा सीट से दूधराम विधायक हैं।





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