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    लखनऊ: देश और दुनिया में विंटेज कार हमेशा से ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने का काम करती हैं। पुराने दौर की कार आज भी नई तकनीकी वाली लग्जरी गाड़ियां उनके आगे फीकी पड़ जाती हैं। दरअसल, लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र ने एक ऐसा काम कर दिया कि दुनिया के हर कोने में उसकी चर्चा है। उसने थर्माकोल से वर्ल्ड की सबसे लंबी कार बनाई है। 20 फिट लंबी का लुक देखकर आपको ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगेगा कि ये असली कार नहीं है। यही नहीं इस काम के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड भी मिल चुका है। वहीं लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के साथ ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की प्रक्रिया चल है।


    200 किलो थर्माकोल से बनी बुगाटी टाइप 41

    गोरखपुर के कुशी नगर निवासी शिवम सिंह ने बताया कि 200 किलो थर्माकोल से बुगाटी टाइप 41 विंटेज मॉडल की रेप्लिका कार बनाई है। यह कार दुनिया की सबसे लम्बी (20 फिट) की है 1927 में सिर्फ 4 से 5 लॉन्च हुई थी। उसके बाद से किसी कम्पनी ने इतनी लम्बी कार नहीं बनाई है। जो हैं भी उन्हें बाद में मॉडिफाई किया गया है। शिवम ने कहा कि हमें पुरानी चीजों का शौख है इसलिए सोचा कि क्यों न इसे बनाया जाए। वैसे तो इसे फाइबर से भी तैयार की जा सकती थी लेकिन समस्या ये थी कि उसकी लागत करीब 15 से 16 लाख रुपए आती इसलिए खयाल आया कि क्यों न इसे थर्माकोल से बनाएं। वहीं दूसरी समस्या ये भी थी कि पूरे भारत में ये कार नहीं है ऐसे में हूबहू वैसी ही कार बनाने के लिए इंटरनेट के माध्यम से रिसर्च शुरू किया।


    शिवम ने LU के म्यूजियम में रखने के लिए बनाई ये कार

    शिवम सिंह कहा कि लंदन के बुगाटी म्यूजियम में सिर्फ यह कार है। लेकिन हम चाहते थे कि हमारे रेप्लिका मॉडल लखनऊ विश्वविद्यालय के म्यूजियम में भी हो। इसलिए करीब एक साल पहले इसपर रिसर्च करना शुरू किया। क्योंकि रेप्लिका का मतलब होता है कि हूबहू उसी तरह से बनाना होता है। लम्बाई, चौड़ाई के लगाकर  टायर का साइज तक सेम रखना पड़ता है। मॉडल के साथ किसी भी तरह से छेड़छाड़ नहीं करना होता है। अगर ऐसा हो जाता तो इसे रेप्लिका मॉडल नहीं कहा जाता। हमने इस मॉडल के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया है इसलिए इसे लार्जेस्ट थर्माकोल ऑफ विंटेज कार का टाइटल मिला है।


    28 दिन में तैयार हुई विंटेज कार की रेप्लिका

    शिवम ने कहा कि इन्टरनेट पर भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई। इसके बाद आर्टिकेट डिपार्टमेंट के दोस्तों से सहायता ली। इसके अलावा हर्सिका सिंह ने भी काफी मदद की। उसने इस कार का ब्लू प्रिंट तैयार करके दिया। फिर थर्माकोल इक्कड्डा करने में भी दिक्कतें हुईं। क्योंकि जो इसमें थर्माकोल इस्तेमाल किया गया है वो मिल नहीं पा रहा था बड़ी मुश्किल से ऑडर देकर मंगवाया। फिर धीरे धीरे काम शुरू किया तब जाकर 28 दिनों में यह पूरी तरह से तैयार हुई। शिवम ने बताया कि इसमें करीब 40 से 45 हजार रुपए की लागत आई है। वहीं 200 किलो थर्माकोल लगा है।  तब जाकर 20 फीट लंबी, 7 फीट चौड़ी और 6 फीट ऊंची बुगाटी कार का शानदार मॉडल तैयार हो पाया है।


    वैक्सीनेशन बॉक्स वाले थर्माकोल का हुआ इस्तेमाल

    शिवम ने यह भी बताया कि थर्माकोल में काम करना भी कठिन होता है। क्योंकि वो काफी नाजुक होते हैं जरा सी भी चूक हो जाए तो वो खराब हो जाता है। इसलिए इसमें वैक्सीनेशन बॉक्स में इस्तेमाल होने वाले बोर्ड के लिए फैक्ट्री में ऑडर देकर बनवाया। बता दें कि इस काम को पूरा करने के लिए सिर्फ दो वजह रही। एक तो पुरानी चीजों को लेकर जागरूक रहें वहीं दूसरी यह कि LU के म्यूजियम में रखी जा सके। जिससे कि यहां आने वाले छात्रों को जानकारी रहे कि थर्माकोल में मॉडलिंग की जा सकती है। इस शानदार काम के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन भी शिवम की खूब सराहना कर रहा है। वहीं जिन दो अवॉर्डस का इंतजार है वो मिलने के बाद इसको कलर भी किया जाएगा। जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करेगा।


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