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    Uttar Pradesh News: पीएम मोदी ने उत्तरप्रदेश के पूर्व सीएम, देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का एलान किया। पीएम मोदी के एलान के बाद जयंत चौधरी ने इस फैसले पर पीएम मोदी का आभार जताया है। वहीं सीएम योगी के साथ साथ बीजेपी सरकार के मंत्री भी इसकी जमकर सराहना कर रहे हैं। इसी बीच शनिवार को सदन की कार्यवाही से पहले निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी इतिहास बना रहे हैं।

    चौधरी चरण सिंह ने कितना संघर्ष किया। आज असली लोगों को सम्मान दिया जा रहा है। जयंत भी यही स्वीकार कर रहे हैं। वहीं हल्द्वानी की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि विवादित स्थान पूजा का स्थल नहीं बन सकता है। इसीलिए निषाद राज किले पर बने मजार और रेलवे स्टेशन पर बने मजार को हटाने की बात हमने सदन में कही है।


    6 लोगों की हुए मौत

    उत्तराखंड के हलद्वानी में 8 फरवरी की हुई हिंसा की लोग निंदा कर रहे हैं। यहां एक अवैध मदरसे और नमाज के लिए बनाई जा रही इमारत पर नगर निगम ने बुलडोजर चलाया था। इसके बाद हजारों लोगों की भीड़ ने पुलिस और निगम की टीम पर हमला कर दिया था। घटना के बाद हिंसा भड़क गई थी। जिसमें अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है।

    हल्द्वानी में हुई घटना का डॉक्टर संजय निषाद ने कहा कि विवादित स्थान पर पूजा का स्थल नहीं बन सकता है, इसलिए उसको हटाना ही चाहिए था। डॉक्टर निषाद ने कहा कि जहां पर भी अतिक्रमण हो उसे हटाना चाहिए। कुरान में लिखा है कि विवादित स्थान पर नमाज पढ़ना गुनाह है। तो क्यों गुनाह किया जा रहा है। 


    हल्द्वानी में है ऐसे हालात

    बता दें कि हिंसा को 48 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं। प्रशासन ने इलाके में इंटरनेट बंद कर दिया है। तीन दिन से बनभूलपुरा में कर्फ्यू भी लगा दिया है। हालांकि, नैनीताल-बरेली मोटर मार्ग को कर्फ्यू से मुक्त रखा गया है। यहां पर दुकानें खुलेंगी और वाहनों का आवागमन भी जारी रहेगा। गौरतलब है कि चौधरी चरण सिंह के पूर्वज भी आजादी के आंदोलन में सक्रिय थे।

    1857 की क्रांति में भी उनके पूर्वजों ने हिस्सा लिया। वहीं 1929 में आजादी के लिए चौधरी चरण सिंह को भी जेल जाना पड़ा। 1940 में वह दोबारा जेल गए। हालांकि वह कांग्रेस के साथ जुड़े रहे और आजादी के लिए महात्मा गांधी के पदचिह्नों पर चलते रहे। बात 1952 की है जब जमींदारी उन्मूलन कानून के पास होने के बाद पटवारी हड़ताल करने लगे। 27 हजार पटवारियों ने इस्तीफा दे दिया और चौधरी चरण सिंह ने इसे स्वीकार कर लिया था।


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