Uttar Pradesh News: ऑनलाइन धोखाधड़ी के अनगिनत मामले सामने आने के बाद भी साइबर ठग किसी न किसी तरह लोगों को अपने जाल में फंसा ही लेते हैं। तरीका भले ही अलग हो लेकिन रणनीति वही रहती है कि, आखिर कैसे लोगों से ठगी की जा सके। ऐसे में ठगों ने इस बार एक ऐसा तरीका अपनाया है जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल, साइबर जालसाज अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की वायस क्लोनिंग टूल की मदद से आपके अपनों की आवाज को ठगी का माध्यम बना रहे हैं। बता दें कि अब तक इंटरनेट मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल, ओटीपी समेत अन्य तरीकों से ठगी हो रही थी, लेकिन अब जालसाज एआइ के वायस क्लोनिंग टूल की मदद ले रहे हैं। यह टूल आपकी आवाज इतने सलीके से नकल करता है कि अपनी व टूल की आवाज में अंतर नहीं कर पाएंगे।
साइबर ठग ऐसे लोगों को बनाते हैं निशाना
यूपी साइबर क्राइम के एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से किसी की भी आवाज की नकल करने के लिए सिर्फ तीन से पांच सेकंड का वीडियो चाहिए। साइबर क्रिमिनल फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर सर्च कर किसी भी आवाज का सैंपल ले लेते हैं। इसके बाद वायस क्लोन कर उनके परिचित, रिश्तेदारों को फोन किया जाता है। आवाज की क्लोनिंग ऐसी होती है कि पति-पत्नी, पिता-पुत्र तक आवाज नहीं पहचान पा रहे हैं। साइबर अपराधी सबसे पहले किसी शख्स को ठगी के लिए चुनते हैं। इसके बाद उसकी इंटरनेट मीडिया प्रोफाइल को देखते हैं और उसकी बताकर किसी आडियो व वीडियो को अपने साइबर पास रख लेते हैं।
गलती से भी न करें ये काम
एआइ के क्लोनिंग टूल की मदद से उसकी से साइब आवाज क्लोन करते हैं। फिर उनके जांच हो परिचित को उसकी आवाज में फोन कर बताया जाता है कि उनका जिनमें एक्सिडेंट या फिर कोई भी इमरजेंसी बताकर ठगी की जा रही है। यूपी साइबर क्राइम के एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि एआइ की मदद से साइबर ठगी के कई मामलों की जांच हो रही है। साइबर क्राइम की टीम सभी पहलुओं पर जांच कर रही है। एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि ठगी से बचने के लिए लोगों को अपने अलग-अलग अकाउंट का अलग-अलग पासवर्ड चाहिए। वहीं एक-जैसे पासवर्ड बनाने से बचें। इसके अलावा दोस्त या सगे-संबंधी की आवाज में पैसे के लिए फोन आए तो एक बार खुद फोन करके स्पष्ट कर लें। साइबर जालसाजी शिकार होने पर पीड़ित तत्काल हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।
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