Special Story Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हजारों लोगों जिदंगी बचाने वाले गोताखोर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ भी गोमती नदी में छलांग लगाकर मौत को गले लगाने वालों के शवों को नहीं तलाश पाती है उन्हें यही गोताखोर ढूंढकर निकालने का काम करते हैं। हालांकि, इस काम के लिए पुलिस की तरफ विशेष दर्जा दिया गया है। बावजूद इसके मानदेय व अन्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार उनकी तरफ किसी भी तरह से ध्यान नहीं दे रही है। आलम कुछ ऐसा है कि वो अपने परिवार का जीवन यापन करने के लिए इसी नदी से मछलियों को पकड़ते हैं फिर उन्हें बेंचकर परिवार के 8 लोगों का पेट पाल रहे हैं। वहीं गोमती नदी का पानी गंदा होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
श्रीपाल ने बयां किया दर्द
करीब 40 वर्षों से हताश युवक युवतियों की जिंदगी बचाने वाले श्रीपाल निषाद ने बताया कि नदी में नाले का पानी आने की वजह से गोमती में कीड़े हैं गंदगी की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।शरीर में खुजली होने के साथ आंखे भी लाल रहती हैं। न ही उनके पास किसी तरह की कोई किट रहती है और न कोई अन्य संसाधन। गोताखोर श्रीपाल निषाद ने बताया कि अबतक वह 10 हजार से अधिक आत्महत्या की कोशिश करने वाले लोगों की जान बचा चुके हैं वहीं 15 हजार से ज्यादा नदी में छलांग लगाकर अपनी जीवन लीला को समाप्त करने वालों के शवों को निकाल चुके हैं। उनका कहना है कि लखनऊ में करीब 29 गोताखोर इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। पुलिस से लगाकर अन्य अधिकारी भी इनकी मदद से ही लोगों को निकालने का काम करवाते है लेकिन आर्थिक मदद के रूप में उन्हें कुछ भी नहीं दिया जाता है। जबकि वो पूर्व की सरकारों के साथ- साथ योगी सरकार से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं।
पिता के सिखाए रास्ते पर चल रहे श्रीपाल
श्रीपाल ने कहा कि आर्थिक मदद न मिलने की वजह से हम अपने बच्चों को इस काम से दूर रहने की सलाह देते हैं। क्योंकि हम तो अपने पिता के बताए हुए रास्ते और उनसे किया गया वादा निभा रहे हैं लेकिन सिर्फ मदद करने से ही जीवन नहीं चलता है। श्रीपाल लखनऊ में ही नहीं बल्कि वो आसपास के जिलों में जाकर लोगों को निकालने का काम करते हैं। इनके कुछ तेज-तेर्रार गोताखोरों को यूपी पुलिस से 'विशेष पुलिस अधिकारी' का दर्जा मिला है जिसमें श्रीपाल भी उनमें से एक है यूपी पुलिस से दिए गए अपने कार्ड को दिखाते हुए श्रीपाल कहते हैं लखनऊ के सभी पुलिस स्टेशनों पर हमारे नंबर दिए गए है इसलिए 24 घंटे फोन ऑन रखना पड़ता है देर रात थाने से फोन आने पर भी मौके पर पहुंचकर लोगों को नदी से निकालने का काम करते हैं।
युवक- युवती को निकालते समय हुआ था हादसा
श्रीपाल ने कहा कि निश्वार्थ भाव से इनके साथ के सभी गोताखोर ये काम कर रहे हैं क्योंकि उनके पिता ने कहा था कि अपने सामने किसी की जान मत जाने देना फिर भले ही अपनी जिंदगी क्यों न दांव पर लगानी पड़े। श्रीपाल इसी उद्देश्य से जी रहें हैं। अपने पुरखों की तरह जोखिम भरा काम करते हैं। बावजूद इसके सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिलती है हालांकि उनके इस कार्य के लिए सम्मानित तो किया गया है लेकिन आर्थिक मदद नहीं मिली। एक पुराना घटनाक्रम बताते हुए श्रीपाल ने कहा कि कुछ साल पहले एक युवक- युवती ने अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए गोमती में छलांग लगाई थी जिनको निकालते समय उनके भाई राम शंकर निषाद के गर्दन में सरिया आरपार हो गई थी। इनके इलाज में लाखों रुपए का खर्च आया था जो अपने पास ही किया था।
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