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    लखनऊ: देश और दुनिया में इन दिनों तितलियों की कमी देखने को मिल रही है। अब इसे प्रकृति की वजह से कहा जाए या फिर कोई अन्य वजह लेकिन हकीकत यही है कि जिन तितलियों के पीछे आप बचपन में दौड़ेते थे उनमें कमी देखी जा रही है। इसी कमी को पूरा करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के आर्ट्स कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र ने एक ऐसी पहल की जिससे की उनकी कमी को पूरा किया जा सके। दरअसल, शिवम सिंह ने तितली की एक ऐसी दुर्लभ प्रजाति को कबाड़ (स्क्रैब) से तैयार की है जो विलुप्त हो गई है। काले रंग की इस तितली की खूबसूरती एक दम अलग है जिसका साइंटिफिक नाम 'स्वालोटेल' है। वहीं इसे गुडनेस का प्रतीक भी माना जाता है। कहते हैं कि सुबह अगर इसे आप देख लेते हैं तो सभी कार्य पूरे हो जाते हैं।


    इसलिए विलुप्त हो रहीं हैं तितलियां

    शिवम ने बताया कि इस तितली को बनाने का पीछे का मुख्य उद्देश यह था कि पहले अलग- अलग प्रजातियों को खूब सारी तितलियां देखने को मिल जाती थी लेकिन मार्च के महीने में बढ़ती गर्मी की वजह से धीरे- धीरे ये बिल्कुल विलुप्त होने लगी। इसलिए इंटरनेट पर सर्च करने पर जानकारी हुई कि ज्यादा गर्मी होने के कारण सेंसटिव पशु- पक्षियों के लिए दिक्कत उत्पन्न कर रही है। इसी को संरक्षित करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार 30 से 35 हजार रूपए में तैयार किया है। शिवम का कहना है कि यह पूरी 'स्वालोटेल' तितली मोटरसाइकिल- साइकिल के स्क्रैब मैटेरियल से तैयार किया है। इसकी लंबाई 8 फिट लंबी और ऊंचाई 5 फिट हैं। जोकि इससे पहले इतनी बड़ी किसी ने नहीं बनाई है। इसमें जो समान प्रयोग किया गया है वो पूरी तरह से खराब था। जो लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में लगाई जाएगी।


    राजभवन के लिए भी काम करेंगे शिवम

    शिवम ने बताया कि इसे बनाने के लिए करीब एक साल से रिसर्च कर रहे थे लेकिन इसे इस रूप में तैयार करने में शिवम को महज 20 से 25 दिनों का समय लगा है। वहीं इस अद्भुत तितली के तैयार होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी खूब सराहना की है। इसके अलावा राजभवन में ऐसे कार्यों को करने के लिए काम भी दिया गया हैं। यानी आने वाले समय में शिवम राजभवन के स्क्रैब मैटेरियल का उपयोग करके वहां पर विलुप्त होने वाले पशु- पक्षियों को बनाने का काम करेंगे। शिवम अभी छात्र हैं लेकिन उसके बाद भी पार्ट टाइम लोगों के काम करके पैसे एकत्रित करते हैं जिससे की विलुप्त होने वाले पशु पक्षियों को लोगों के बीच रख सकें। हालाकिं इस काम के लिए परिवार और कुछ दोस्तों का भी सहयोग लेते हैं जिससे की उन्हें आर्थिक दिक्कत न हो।


    35 प्रजाति की तितलियां पर संकट के बादल

    बता दें कि तितलियों की आबादी को बेहतर पर्यावरणीय दशाओं के संकेतक के तौर पर जाना जाता है। परागण, खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक तंत्र में भी तितलियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। लेकिन, प्रदूषण, कीटनाशकों के उपयोग, जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन की मार पड़ने से तितलियों की आबादी पर संकट मंडराने लगा है। भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तितलियों की 1,318 प्रजातियां दर्ज की गई हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईसीयूएन) के अनुसार भारत में तितलियों की 35 प्रजातियां अपने अस्तित्व के लिहाज से गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।


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