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    Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित केडी सिंह बाबू स्टेडियम में पिछले कई सालों से स्वीमिंग पूल बंद पड़ा है। इसकी वजह से साई सेंटर में शुरू हुई राज्यस्तरीय तैराकी चैंपियनशिप में लखनऊ के खिलाड़ी बिना अभ्यास के हिस्सा ले रहे हैं। बता दें कि जिस खेल निदेशालय से खेल और खिलाड़ियों के उत्थान की योजनाएं बनती हैं, उसी के बगल में ओलिंपिक साइज का स्वीमिंग पूल दस करोड़ खर्च करने के बावजूद तीन साल से अधूरा पड़ा है।


    अधूरा पड़ा स्वीमिंग पूल

    स्वीमिंग पूल में चेंजिंग रूम व टाइल्स ही लगे है अब तक केवल चेंजिंग रूम का निर्माण ही हो सका है। पूल में टाइल्स लगाने का काम तो पूरा हो हो गया है। लेकिन दीवार, फिनशिंग, कुर्सी लगाना, हाल बनना, विद्युतीकरण, डाइविंग बोर्ड व पूल को कवर करने जैसे कार्य अधूरे हैं। जानकारी के मुताबिक, केडी सिंह स्टेडियम के स्वीमिंग पूल का कार्य पूरा करने दो से तीन माह लग सकते है। तब तक तैराकी सत्र समापन की ओर होगा।


    बड़ी प्रतियोगिता के लिए लखनऊ में नहीं था स्वीमिंग पूल

    स्पोर्ट्स कालेज का पूल भी बंद उप्र ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी की, लेकिन बड़ी प्रतियोगिता के लिए लखनऊ में स्वीमिंग पूल नहीं था। ऐसे में तैराकी की स्पर्धा नोएडा में हुई। वहीं स्पोर्ट्स कालेज के पूल को आठ साल पहले बंद कर दिया गया था। शासन से दो बार जीर्णोद्वार के निर्देश भी दिए गए। लेकिन आज तक कुछ नहीं हो सका।


    कार्यदायी संस्था को दी जा चुकी है चेतावनी

    इस स्वीमिंग पूल का निर्माण कार्य पिछले साल जून में ही पूरा कर देना चाहिए था, लेकिन नहीं हो पाया। उत्तर प्रदेश तैराकी संघ अवैतनिक सचिव रविन कपूर का कहना है कि निश्चित तौर पर स्वीमिंग पूल तैयार न होने से एजेंसी की ओर से दिसंबर तक का समय मांगा गया और फिर मार्च का वादा किया गया पर अभी आधा काम ही हो सका है। इस संबंध में खेल निदेशक डा. आरपी सिंह ने बताया कि स्वीमिंग पूल के निर्माण में देरी को लेकर कार्यदायी संस्था को कई खिलाड़ियों को काफी दिक्कतें हो रही बार चेतावनी दी जा चुकी है। 


    सरकार ने 18 करोड़ रुपए कर दिया था बजट

    प्रदेश की योगी सरकार ने स्वीमिंग पूल के लिए वर्ष 2020 में दस करोड़ रुपये मंजूर किए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते स्टेडियम के हास्टल बंद हो गए थे। इसी बीच निर्माण कार्य तो शुरू हुआ, लेकिन पुरातत्व विभाग की आपत्ति की वजह से काम रोक दिया गया। पिछले साल दिसंबर में ही पुरातत्व विभाग ने हरी झंडी दे दी। स्वीमिंग पूल को आल वेदर बनाने के लिए इसका बजट 18 करोड़ रुपये कर दिया गया था।


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