Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्कूल चलो अभियान की शुरुआत के साथ ही हमारा दायित्व बनता है कि हर शिक्षक, हर प्रधानाध्यापक जिस वार्ड या ग्राम पंचायत में स्कूल है वहां के सभी मानिंदों के साथ बैठक करे, उनका सहयोग भी ले। अभिभावकों के साथ बैठक करें। अच्छा होगा कि घर-घर जाकर एक-एक घर की स्क्रीनिंग करें। ग्राम पंचायत की स्टडी करें। किस-किस सामाजिक, आर्थिक स्थिति में निवास करने वाले लोग हैं। उनका एक डाटाबेस तैयार करें। विद्यालय के पास अपनी ग्राम पंचायत का रिपोर्ट कार्ड होना चाहिए। हो सके तो बेसिक शिक्षा परिषद इसका एक पोर्टल तैयार करे और प्रत्येक विद्यालय से ये डाटाबेस ले।
सीएम ने यह भी कहा कि यह एक शिक्षक के लिए भी यह स्थानीय स्तर पर एक केस स्टडी होगी। इससे आप तय करेंगे कितने बच्चे स्कूल जा रहे हैं और कितने वंचित हैं। जो स्कूल जाने से वंचित हैं वो किन कारणों से वंचित है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि उसी समय आधार ऑथेंटिकेशन की कार्यवाही भी सुनिश्चित करें। सभी जिलाधिकारी सुनिश्चित करें कि एक नोडल अधिकारी तैयार करें जो बीएसए के साथ मिलकर हर विकास खंड और हर ग्राम पंचायत में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएं। डीबीटी के माध्यम से जिन अभिभावकों के खाते में पैसा जाना है उसे सुनिश्चित करें, ताकि बच्चों को समय पर यूनिफॉर्म, बैग मिल सके। सीएम ने कहा कि हम खेलकूद की प्रतिस्पर्द्धा भी कराते हैं। नवंबर-दिसंबर के दौरान छुट्टियों के आसपास स्कूली स्तर पर इनका आयोजन करें। सरकार ने तय किया है कि हर ग्राम पंचायत में एक खेल का मैदान होगा। साथ ही ओपन जिम की भी व्यवस्था की गई है।
संचारी रोग नियंत्रण में उत्तर प्रदेश का मॉडल बना मिसाल
संचारी रोगों पर सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश नो क्लाइमेटिक जोन का प्रदेश है। अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग बीमारी भी आती है। आप देखेंगे कुशीनगर, गोरखपुर से लेकर नेपाल की तराई से सहारनपुर तक मस्तिष्क ज्वर का कहर कभी इस क्षेत्र में हजारों बच्चों को हर वर्ष निगल लेता था। एक वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चे इसकी चपेट में आते थे। लोगों के मन में जुलाई से लेकर नवंबर-दिसंबर तक भय और दहशत का माहौल रहता था। वाराणसी और इसके आसपास के क्षेत्र में कालाजार फैलता था। बरेली और आसपास के क्षेत्र में मलेरिया, लखनऊ-कानपुर-मथुरा तक डेंगू का कहर देखने को मिलता था।
झांसी और बुंदेलखंड के क्षेत्र में चिकनगुनिया का कहर था। स्वास्थ्य विभाग ने विगत 6 वर्ष के अंदर कार्यक्रम चलाया,जिसमें कई विभागों की सहभागिता रही। आज से ठीक 5 वर्ष पहले एक अप्रैल 2018 को संचारी रोग नियंत्रण का शुभारंभ किया। इन कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रदेश के विभागों के साथ भारत सरकार और यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ जैसी संस्थाओं का योगदान रहा। आज संचारी रोग नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश का यह मॉडल पूरे देश के सामने एक अच्छे परिणाम के रूप में सामने आया है। आज इंसेफेलाइटिस को अंतर विभागीय समन्वय के कारण पूरी तरह नियंत्रित किया जा चुका है। चिकनगुनिया, मलेरिया, कालाजार जैसी बीमारियों के निदान में उत्तर प्रदेश का कार्य उत्कृष्ट श्रेणी का है।
स्कूलों में चलाएं स्वच्छता कार्यक्रम
संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम और स्कूल चलो अभियान की एक साथ शुरुआत को लेकर सीएम योगी ने कहा कि इन बीमारियों की चपेट में ज्यादातर बच्चे आते थे। इसीलिए स्कूल चलो अभियान और संचारी रोग नियंत्रण का यह कार्यक्रम एक साथ आयोजित किया गया है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका स्वच्छता और शुद्ध पेयजल की है। इसमें शिक्षकों का रोल भी महत्वपूर्ण है। उनका काम केवल स्कूल में पाठ्यक्रम पढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि अभिभावक के साथ भी संवाद बनाना होगा। शिक्षक गृह भ्रमण के दौरान देखें कि घर के आसपास गंदगी तो नहीं है। इस विषय पर भी वो अभिभावकों से संवाद करें। स्कूलों में स्वच्छता के बारे में एक कार्यक्रम को आगे बढ़ाना होगा। ग्राम प्रधान समिति के साथ बात करते हुए अभिभावकों को भी प्रेरित करना होगा। स्कूल में जो बच्चे आते हैं उन्हें भी देखना। यूनिफॉर्म साफ सुथरी हो, बच्चे नहाकर आएं, दातून करके आएं। स्वच्छता के प्रति बच्चों को जितना जानकारी दे पाएंगे, संचारी रोग को नियंत्रण करने में उतनी ही सफलता मिलेगी।
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