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    मणिपुर न्यूज़: मणिपुर की घटनाओं को लेकर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को कल, 8 अगस्त को संसद में पेश किया गया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इस प्रस्ताव को लोकसभा में पेश किया। जब इस गम्भीर मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, तो लोगों को उम्मीद थी कि इस संवेदनशील विषय पर गम्भीर चर्चा होगी। लेकिन दुर्भाग्य से पहले दिन दोनों पक्ष के लोग अगर कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो इस मुद्दे के बजाय दुनियाभर के मुद्दों पर बोलते नजर आए। वक्ताओं द्वारा इस मुख्य मुद्दे को किनारे कर दिया गया।


    गोगोई ने जोरदार तरीके से की डिबेट की शुरुआत

    लोकसभा में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर पहले दिन दोनों पक्षों के लोग अगर हम दो-एक अपवादों को छोड़ दें, तो मुख्य मुद्दे से भटक कर इधर-उधर की बात करते दिखे। मणिपुर उनकी डिबेट से कोसों दूर नजर आया। 


    जहाँ अधिकांश विपक्षी सदस्यों ने इस अवसर को महंगाई, अपने प्रदेश की स्थानीय समस्याओं, मोदी सरकार की विभिन्न मोर्चों पर नाकामी जैसे मुद्दों को उठाया। तो सत्ता पक्ष के सांसद भी मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाते, विपक्षी गठबंधन के औचित्य पर सवाल उठाते और विपक्षी शासित राज्यों की सरकारों की नाकामियां बताते नजर आए।


    जब कांग्रेस ने राहुल गांधी के बजाय नॉर्थ ईस्ट से आने वाले सांसद गौरव गोगोई से बहस की शुरुआत कराई। तो लगा कांग्रेस इस मुद्दे पर गम्भीर बहस कराना चाहती है, इसलिए उसने उस क्षेत्र से आने वाले सांसद को ये जिम्मेदारी दी है। गोगोई ने निराश भी नहीं किया। उन्होंने इस प्रस्ताव पर संसद में बहस की शुरुआत करते हुए मणिपुर मुद्दे को जोर-शोर से उठाया तो उम्मीद बंधी कि इस मुद्दे पर गम्भीर बहस होगी। 


    उनकी अधिकांश बातें तार्किक थीं और अधिकांश समय उनका फोकस मणिपुर पर ही रहा। हालांकि अपनी बातों में उन्होंने सिर्फ हालिया घटनाओं का जिक्र किया। वर्षो से चली आ रही इस समस्या की जड़ में जाना, उन्होंने राजनीतिक विवशताओं के कारण नजरअंदाज करना बेहतर समझा। उन्होंने वर्तमान हालातों के लिए केंद्र और राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने पीएम मोदी की चुप्पी और मणिपुर प्रदेश सरकार को नाकामी पर भी बर्खास्त नहीं करने पर सवाल उठाए।


    अच्छी शुरुआत के बाद मुद्दे से भटकी बहस 

    इसके बाद बीजेपी की ओर से निशिकांत दुबे ने जवाब दिया। लेकिन शुरुआत मणिपुर से करने के बाद वो मुद्दे से भटक गए और उनका फोकस मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाने में, अपने क्षेत्र के विकास कार्य बताने में और विपक्षी गठबंधन के औचित्य पर सवाल उठाने पर ही नजर आया। 


    उन्होंने सोनिया गांधी पर व्यक्तिगत तंज कसते हुए कहा कि उनके जीवन का मकसद यही है कि उन्हें बेटे को सेट करना है और दामाद को भेंट करना है। उन्होंने कांग्रेस का साथ दे रहे विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A.के नेताओं को अतीत में कांग्रेस द्वारा किए गए उनके प्रति किए गए व्यवहार की याद दिलाते हुए उनके कांग्रेस के साथ जाने पर भी सवाल उठाए। 


    सिर्फ निशिकांत दुबे ही नहीं, बल्कि उनके बाद बोलने वाले दोनों पक्षों के नेताओं का मणिपुर पर फोकस नहीं दिखा। वो अन्य मुद्दे उठाते रहे, सुप्रिया सुले ने महंगाई पर जोर दिया, तो डिम्पल यादव का फोकस महंगाई के साथ-साथ यूपी की अपराध की घटनाओं पर रहा। इसी तरह कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी 370 पर अपना रोना रोते दिखे। 


    महाराष्ट्र के कुछ सांसद उद्धव सरकार का, तो कुछ वर्तमान शिंदे सरकार का बखान करते नजर आए। स्थिति ये हो गई कि एक सांसद ने ये तक कमेंट कर दिया, ऐसा लग रहा है जैसे हम लोकसभा में नहीं, बल्कि महाराष्ट्र विधानसभा में बैठे हैं। बीजेपी की ओर से पहले दिन की चर्चा का अंत होते-होते केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने जरूर, सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ, मणिपुर सहित पूरे पूर्वोत्तर राज्यों की समस्याओं पर गम्भीरता से बात की।  


    कुल मिलाकर पहले दिन की चर्चा का निष्कर्ष तो यही निकलता है कि दोनों पक्षों के लिए मणिपुर का मुद्दा सिर्फ एक मोहरा है। उनकी इसके प्रति कोई गम्भीरता नही है। उनके लिए इस बहस का उद्देश्य सिर्फ अपने-अपने हित साधना है। जिससे उनके लिए 2024 के चुनावों की राह आसान हो जाए और वो इसका राजनीतिक लाभ ले सकें।



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