Lucknow News: उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना में दिलचस्पी ही नहीं ले रहे। यही वजह है कि पिछले तीन महीने में राज्य में सिर्फ 13 अस्पताल ही 15 फीसदी इंसेंटिव पाने के हकदार निकले जबकि प्रदेश में 1109 सरकारी अस्पताल आयुष्मान योजना में शामिल हैं। बता दें कि इस योजना के तहत केंद्र और प्रदेश सरकार गरीबों को पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा देती है।
23 सितंबर 2018 को शुरू हुई आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने शुक्रवार को अपने चार वर्ष पूरे कर लिए। प्रदेश में साढ़े चौदह लाख से अधिक लोगों ने इस योजना के तहत पांच लाख तक के निशुल्क इलाज का लाभ उठाया है। मगर इसमें 80 फीसदी हिस्सेदार निजी अस्पतालों की है।
गौरतलब है कि, सरकारी अस्पतालों में महज 20 फीसदी के करीब लोगों को ही इलाज मिल सका है। सबसे खराब स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) की है। प्रदेश में 3600 से अधिक सीएचसी हैं। कहा जा रहा है कि तमाम सीएचसी पर रात में डॉक्टर नहीं रहते, इसलिए वो वहां मरीज भर्ती करने से कतराते हैं। प्रदेश सरकार ने इलाज में मिलने वाली धनराशि में से 15 फीसदी अस्पताल स्टाफ को इंसेंटिव के रूप में देने का शासनादेश जारी किया था।
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