लखनऊ: नई दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 6 साल की बच्ची के बोन कैंसर, इविंग सार्कोमा, का सफल इलाज किया। डॉ. अक्षय तिवारी की टीम ने इस जटिल प्रक्रिया का नेतृत्व किया। इसके बाद प्रीति पूरी तरह कैंसर-मुक्त हो गई, और उसके कंधे की सामान्य कार्यक्षमता भी वापस आ गई। सोमवार को लखनऊ में सीनियर डायरेक्टर डॉ. अक्षय तिवारी ने कहा कि यह बीमारी हर साल लाखों बच्चों में से कुछ को ही प्रभावित करती है।
सितंबर में मनाया जाता है'चाइल्डहुड कैंसर अवेयरनेस मंथ
डॉक्टर अक्षय ने बताया कि सितंबर को 'चाइल्डहुड कैंसर अवेयरनेस मंथ' के रूप में मनाया जाता है। इसी संदर्भ में मैक्स हॉस्पिटल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। जिसमें प्रीति के पिता और डॉ. तिवारी ने इस रेयर केस पर चर्चा की। डॉक्टर ने बताया कि प्रीति के कंधे में सूजन थी, जिसे परिवार ने पहले हल्की चोट समझा, लेकिन जांच में इविंग सार्कोमा का पता चला। लखनऊ में 6 साइकिल कीमोथेरेपी के बाद, सर्जरी की जरूरत पड़ी, लेकिन परिवार ने सेकंड ओपिनियन के लिए मैक्स हॉस्पिटल से संपर्क किया।
इसलिए चुनौतीपूर्ण था इलाज
डॉक्टर अक्षय तिवारी ने आगे बताया प्रीति का मामला खासकर इसलिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण था क्योंकि कैंसर की हड्डी को हटाने के लिए रेडिकल सर्जरी की आवश्यकता थी और इतने छोटे बच्चे पर इसका गलत प्रभाव भी हो सकता था। टारगेट सिर्फ बीमारी को खत्म करना नहीं था, बल्कि बच्ची के कंधे के मूवमेंट को भी बचाना था। इसलिए टीम ने परिवार को क्रायोथेरेपी और रिसाइकल्ड ट्यूमर बोन के री-इम्प्लांटेशन के बारे में बताया। इस एडवांस तकनीक में, सर्जिकल टीम कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन के जरिए प्रभावित हड्डी को जमा देती है, फिर इलाज के बाद हड्डी को शरीर में इम्प्लांट किया जाता है, जिसके इसकी फंक्शनिंग भी बची रहे।
अत्याधुनिक उपचार का चुना गया विकल्प
डॉ. अक्षय तिवारी ने बताया कि परिवार के साथ लंबी बातचीत और विमर्श के बाद, हमने इस अत्याधुनिक उपचार का विकल्प चुनने का फैसला किया।क्रायोथेरेपी और रिसाइकल्ड ट्यूमर बोन री-इम्प्लांटेशन जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया। इसमें कैंसर से प्रभावित हड्डी को लिक्विड नाइट्रोजन से जमाकर पुनः शरीर में लगाया गया, जिससे कंधे की कार्यक्षमता भी बची रही। प्रीति की तेजी से रिकवरी इस प्रक्रिया की सफलता का प्रमाण है।
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